tag:blogger.com,1999:blog-96790492024-03-07T18:59:46.870+09:00जापान के एक कोने से...बिना किसी इरादे पे चलता रहेगा ग़ैर-इंडियन के हाथों से. देखते जाइएगा किसी न किसी जगह से जहाँ भी हों.
मैं हूँ ना यहीं ,जापान !!!namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-12651935806547492022012-03-11T01:23:00.023+09:002012-04-01T22:13:05.727+09:00पहली वर्षगाँठ और श्राधांजलिआज पहली वर्षगाँठ आ रही है. दोपहर दो बजकर छियालीस मिनट पर जब उस भयावह भूकंप ने अचानक आकार लाखों लोंगों की रोज़मर्रे ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी, उस मौके पर देश के हर कोने पर मौन प्रार्थना की जाएगी.ऊपर ऐसा लिखते हुए भी मैं यकीन नहीं कर पा रहा हूँ कि उस दिन से पहेले और बाद में क्या क्या फ़र्क पड़े हैं अपनी जिंदगी पर, और किस किस तरह असर होते जा रहे हैं इस एक साल के दौरान से लेकर आगे लगातार. यहाँ namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-86936786382753934452012-02-29T23:17:00.005+09:002012-03-01T00:05:05.251+09:00दिन बर्फ़बारी काआज दिन बर्फ़बारी के मारे तोक्यो नगर इलाक़े में यतायात काफ़ी प्रभावित हुई. बहुत से सड़कों पर कहीं फिसले फँसे कारों से अफ़रा तफ़री मची और इससे भी ज़्यादा पैदल यात्रियों को गिरकर चोट लगी.मगर क्या बताऊँ मेरे लिए तो इसी बर्फ़बारी से क्या कृपा हुई, आधा दिन छुट्टी मिल जाने की.दो पहर को ही जल्दी घर वापसी, मामूल से कहीं ज़्यादा मुसीबत भरा रास्ता तै कर.अब उम्मीद है कि बर्फ़बारी के साथ वसंत की आहटें क़रीब आnamastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-29235351014304003872012-01-01T01:09:00.002+09:002012-01-01T03:29:49.113+09:00नववर्ष २०१२ की शुभ्कामनाएँनी-सेन जू-नी नेनआकेमाशीतेओमेदेतोगोज़ाईमासूप्रार्थना है कि इस साल भी आप के घर में सुख-शांति बनी रहे.namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-66032475573314966942011-08-16T22:55:00.006+09:002011-08-18T11:11:48.178+09:00दक्षिण कोरियाई थिएटरों में "3 Idiots"जब दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के गिम्पो हवाई अड्डे पर था, उड़ान के वक़्त तक थोड़ा टाइम बिताने को हवाई अड्डे से जुड़े शौपिंग मॉल के अंदर यों ही घूम रहा था, और फिर वहाँ के मल्टीप्लेक्स तक आ पहुँचा, तो अचानक नज़र पड़ी इस विज्ञापन बोर्ड पर.
पता चला है कि 18 अगस्त से दक्षिण कोरिया के सिनेमा घरों में "3 Idiots" रिलीज होने वाली है, जिसका कोरियाई टाइटल "세 얼간이 (से ओल्गानी)" है.
आजकल दक्षिण कोरियाnamastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-65144738865429584782011-05-01T02:01:00.015+09:002011-05-04T07:27:32.630+09:00तब धुँआ निकला तो....
बेशक आप सभी को नाम तो पता होगा, फ़ुकुशिमा दाइ-ईची (प्रथम) परमाणु संयंत्र. विकिरण संकट का उपरिकेंद्र, जहाँ पिछले महीने भूकंप-त्सुनामी के अगले दिन अचानक एक रिएक्टर भवन के छत और दीवार फटे, फिर धुँए के साथ-साथ कई रेदियोधार्मिक पदार्थ बाहर फिज़ाओं में रिस जाने लगे.
अब इस अनहोनी दुर्घटना के छोड़े अनहोनी दुष्प्रभाव का भोज, सँभालने को देशवासियों के लिए बेहद ज़्यादा ही पड़ रहा हैं. उनमें से एक है, भारीnamastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-24023362362686583162011-04-11T23:56:00.016+09:002011-04-15T05:38:24.096+09:00है वसंत आत्मसंयम का...इस साल भी तोक्यो में आ गया है हवा की नरमाहट में फूलों से भरपूर होने वाला बहार का मौसम. इन दिनों शहर के हर कोने में साकुरा यानी चेरी के पेड़ों पर घने से घने खिले पाए जाते हैं, फूल हलके से गुलाबी रंग के, जैसे सब मामूली सी, हमेशा की तरह ही.
मगर अब साकुरा के फूल दिखते कुछ अलग हैं. हाँ, फूल का रंगोरूप तो ज़रूर कुछ बदला ही नहीं है, बल्कि बदले शायद हम हैं फूल देखने वाले और हमारा समाज. बहुत कुछ बदले namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1214470260542297412011-03-17T07:24:00.006+09:002011-04-17T19:08:41.604+09:00कहीं धुंधुली सी है "साधारणता"एक अख़बार के संपादक ने अपने संपादकीय लेख पर नीचे वाले सवाल डाला, जैसे अपने से और दोसरे पाठकों और सारे समाज से पूछ रहे.
क्या यह अभी बुरा सपना देख रहे हैं हम ? या फिर, इस भारी तबाही मचने तक हम जिस लंबी नींद में सोए थे, उससे जागकर हक़ीक़त का सामना करने को है वक़्त ?जैसे इस सवाल ने एक दिशा सुझाई, शायद भाड़ी प्राकृतिक आपदा का सामना कर हमें उसके भय और अपनी विवशता के सोच में डूबना छोड़ कुछ और करना बाकीnamastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-8166418725818023612011-03-11T19:59:00.007+09:002011-03-11T23:44:21.788+09:00क़यामत-सा दिनभूकंप के वक़्त घर पर था और बड़ी ख़ुश क़िस्मत थी कि सब सलामत रहे हैं हमारे यहाँ तो. लेकिन लोग बेहद ख़ौफ़ज़दा रह गए हैं. इतना ज़ोरदार झटका कभी आया नहीं था कि घर के अंदर तो क्या, बाहर सब नज़ारों में दुनिया हिल रही थी.फ़िलहाल मोबाइल वग़ैरह फ़ोन सेवा तो सुस्त या बिल्कुल बंद हो रही है. नगरपालिका की तरफ़ से घोषणा मिली है कि बिजली भी कई क़रीब शहरों में बंद हो रही है. न्यूज़ में कह रहा है कि तबतक तोक्यो namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-49482371252561975352010-04-12T09:34:00.001+09:002010-04-12T09:35:40.812+09:00भित्तिचित्र "आसू-नो शिंवा"यह विशाल भित्तिचित्र देखके आया.आंतरिक तोक्यो के एक मुख्य क्षेत्र "शिबुया" में, "केईओ" (एक निजी रेलवे कंपनी) की "ईनोकाशीरा" लाइन और "जेआर" (यानी जापान रेलवे कंपनी, पूर्व-सरकारी कंपनी जो १९८७ से निजीकृत हुई है) लाइन के दोनों स्टेशनों को जोड़ने वाले संपर्क पथ के दीवार पर है यह भित्तिचित्र, और इसकी चौड़ाई ३० मी और ऊँचाई ५.५ मी है.यह भित्तिचित्र मशहूर जापानी कलाकार "तारो ओकामोतो" द्वारा रचाया गया था,namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-65602043051442492242010-03-21T22:52:00.003+09:002010-04-09T18:49:01.569+09:00वसंत का नज़ारातोक्यो में अब वसंत का ताज़ा रंग दिन ब दिन गहरा आ रहा है. सौभाग्य से आज मौसम बहुत अच्छा रहा था और हवा भी काफ़ी नरम रही थी. सो मैं भी ऐसे वातावरण में कुछ उकसाया गया, और फिर यों ही साइकिल पे थोड़ी-सी सैर पर निकला.**नहर के किनारे घने खिले फूल, जो वसंत का ख़ूब रंग जमा रहे हैं.गली के किनारे पड़ा एक पत्थर, जिसकी इबादत के लिए छोटा "तोरिई" द्वार बना रखा है. **फिर चलते-चलते, अब आ गया समुंद्र तट और namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-50820695216263915542010-03-19T19:44:00.004+09:002010-05-21T01:54:50.896+09:00पॉश "कैफ़े राष्ट्र" का अत्याचार?आप कहाँ कॉफ़ी पीना पसंद करते हैं? मैं घर पे तो अक्सर चाय ही पीता हूँ. मगर जब भी कुछ किताबें एकाग्रता से पढ़ने के लिए कहीं बाहर कॉफ़ी शॉप जाता हूँ तो, कॉफ़ी का इच्छुक हो जाता हूँ (न जाने क्यों, शायद दुकान के अंदर जो खुशबू समाई होती है, इस लिए?).जैसे अब भारत के हर महानगर के केंद्र में "बरिस्ता" या "कैफ़े कॉफ़ी डे" की शाख़ा कहीं न कहीं एक तो ज़रूर देखने को मिलती है, ऐसी ही कैफ़े बूम जापान में भी इस namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-41330466158624188132009-01-08T01:10:00.001+09:002009-01-18T00:59:00.512+09:00आकेमाशीते बधाई 2009आप सबको "आकेमाशीते ओमेदेतो गोज़ाइमास", मेरी हार्दिक शुभ्कामनाएँ, चाहे आप नए पॉस्ट का बेसब्र इंतज़ार करते हों, या जभी यहाँ आया करते हों कि आर एस एस फ़ीड मिलती है, या फिर सर्च एंजिन पे कुछ खोजते खोजते यों ही पहुँच गए हों. देखते रहें, इस साल भी शायद कभी-कभार लेकिन ज़रूर लिखता रहूँगा, जापान के एक कोने से...वैसे तो, चीनी कैलेंडर के अनुसार यह साल "बैल-गाय" का होता है, इस लिए मेरा न्यू यियर कार्ड भी नंदी namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-41717034939567870342008-01-01T23:25:00.000+09:002008-12-09T23:05:32.751+09:00नए साल के अवसर पर...नए साल के अवसर पर क्षण भर के लिए वापसी!!क्यों मेंढक? यह साल जापान में होता है मेंढक का?ग़लत! असल में तो चीनी कैलेंडर के हिसाब से "चूहे" का होता है. (कोई ख़ासा मायने नहीं, सिवाय जिस मिट्टी के मेंढक को कभी भोपाल में देखा, इसका परिचय आप लोगों से कराने का. इसका अजब-सा आकर्षण, आप समझ सकते हैं न?)शायद सालाना ब्लॉग होने लगा? पता नहीं अगली पोस्ट कब होगी, मगर क्भी कभार तो ज़रूर लिखता जाऊँगा. (और मेरी namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1167780165828807672007-01-03T08:26:00.000+09:002007-01-03T10:23:43.236+09:00नए साल के आग़ाज़ में...इस बार भी नववर्ष की शुभकामनाएँ के साथ देता हूँ,सभी को "あけまして おめでとう" (आकेमाशीते ओमेदेतो)कैसा होगा यह साल और क्या क्या होने वाला है इस साल में, यह तो फ़िलहाल अंदाज़ा भी नहीं, पर उम्मीद है कि गुज़रे साल की तरह अच्छा ही रहेगा.वैसे, आपको पता है ? सुना है कि सन् 2007 "जापान-भारत मैत्री वर्ष" भी है. इस सिलसिले, दोनों देशों के अनेक जगहों में कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि भी बहुत आयोजित किए जाएँगे. अगर ऐसे namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1162459254835556662006-11-02T18:15:00.000+09:002006-11-02T18:27:24.580+09:00बोले तो "नमस्ते इंडिया"...लगभग डेढ़ महीने पहले की बात है, जब यहाँ तोक्यो में ऐसा दो दिवसीय उत्सव हो रहा था.उस दिन वहाँ खुले बाज़ार की तरह चादरों के नीचे बहुत-सी दुकानें इकट्ठे लगाई गई थीं, और उनके बीच-बीच के रास्ते तो इनसानों की भीड़ से घने हुए थे. खान-पान, पहनावे-ज़ेवरात और बॉलीवुड, ये सब चीज़ें यतायात लोगों को लुभाकर अपना ग्राहक बना लेती थीं. दूसरी तरफ़ एक कोने में तरह तरह के संगीत-नृत्य का प्रदर्शन भी हो रहा था, और मंच के namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com8tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1136815800017927872006-01-09T18:42:00.000+09:002006-01-12T10:56:35.470+09:00नववर्ष की चट्ठी...नए साल की शुरूआत में बधाई देने के लिए, मेरी तरफ़ से सबको "あけまして おめでとう" (आकेमाशीते ओमेदेतो)बाईं से दाईं तरफ़, देवनागरी की नक़ली लिपि में ऐसा लिखे है.और ऊपर से नीचे "謹賀新年" (किन्-गा-शिन्-नेन्) लिखे है, जो "आकेमाशीते..." का लिखित भाषा वाला शब्द है.शायद अभी थोड़ी देर हो गई होगी...लेकिन, अगर कोई जापानी लोग आपके साथ काम करते हों या पड़ोस में रहते हों, और आप उनसे ज़रा बात करने के लिए कुछ बहाना चाहते होंnamastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1133808678451899092005-12-07T12:30:00.000+09:002006-01-19T17:01:33.053+09:00आवरण कथा : भारतपिछले महीने न्यूज़वीक जापान-संस्करण के इस तरह के कवर थे...यानी, लगातार दो अंकों में कवर स्टोरी के लिए भारत को चुन लिया गया.पहला अंक है जिसमें भारत को देखते हैं उसकी व्यापारिक सक्षमता के नज़रिए से, दूसरा है राजनैतिक सक्षमता के नज़रिए से. और कवर पर "インド" (भारत) के नीचे ऐसे लिखे हैं, " 動き出す巨象経済 " (चलने लगा है महा-हाथी अर्थव्यवस्था)" 超大国の誇りと野望 " (सुपर-पॉवर का गर्व और आकांक्षा)दरअसल इन कई सालों से आम namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1126198132374303692005-09-09T01:48:00.000+09:002005-09-09T01:48:52.383+09:00ऑटरिक्श पे भी शेर...आजकल खींचा मनपसंद फ़ोटो... * * * * * * * * * * * * * * * *कैई बह गये बोतल के इस बन्दपानी में, डूबे जो पैमाने में निकलेना फिर जिन्दगानी में* * * * * * * * * * * * * * * *...अरे, क्या हुआ यार?…इंजिन ख़राब हो गई है?...चलती रहे तेरी जिंदगी भी...namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1111297925887007972005-03-23T01:56:00.000+09:002005-04-05T20:21:45.926+09:00ठंडी मतलब....चाय !!आजकल जापान में भी वही चाय एकदम प्रसिद्ध और लोकप्रिय होती जा रही है, जो दूध-मसाले वाली इंडिया स्टाइल की है. इसी समय वह हाल इतना तक आ गई कि एक मशहूर बहुराष्ट्रीय कंपनी ने पिछले महीने से अपने उत्पादनों में इंडिया-चाय शामिल किया है.फिर भी वह तो गरम गरम तो नहीं....ठंडी ठंडी चाय ही.........यानी चाय फ़्लेवर आइस्क्रीम..... (120ml/250¥)गत माह से टी.वी. पर विज्ञापन लगाया गया है, बार बार जो देखके मुझे अजीब namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1108273248918366942005-02-17T01:38:00.001+09:002012-01-23T19:13:24.397+09:00जापानी अक्षरमाला[*22 Jan. 2012 - कुछ कुछ अंगों पर शब्दों-वाक्यों का संशोधन]इस बार ज़रा दिखाता हूँ कैसे होते हैं वे पूर्वी एशियाई अक्षर, जो विशेष कर जापानी भाषा में प्रयोग किए जाते हैं. मेरी ख़्याल में जापानी भाषा उतनी मुश्किल नहीं है बोलचाल में, मगर सही ढंग से लिखना-पढ़ना बड़ा थकाऊ काम होगा, चुंकि कई विषयों में इसके अक्षरों में जटिलताएँ होती हैं.एक वजह यह है कि आम तौर पर 3 तरह की अक्षर-लिपिओं से लिखी जाती है namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1104865174593840362005-01-06T01:03:00.000+09:002005-01-15T05:05:34.536+09:00क्या काम होता है भाषा सीखना !?ज़बानें सीखना लगता है अपना जहान और बड़ा-चौड़ा बनाने जैसा काम. मेरे लड़कपन, हाइस्कूल के दिनों में तो अंग्रेज़ी की कक्षा में सोचा था दुनिया देखूँगा अंग्रेज़ी के ज़रिए से. हाँ, वैसे देख तो सकते हैं और ज़रूरत भी पड़ती है कहीं देश के बाहर रवाना होना हो तो. फिर भी सोचा है कि जो दुनिया अंग्रेज़ी की खिड़की के बाहर ही देखें वह तो पूर्ण रूप से ' दुनिया ' कह सकते हैं या नहीं? इस सारी दुनिया में ज़्यादातर namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-9679049.post-1103404497606082892004-12-19T06:04:00.000+09:002004-12-29T15:48:59.560+09:00शुरूआत तो हो गई ही है, फिर भी...यूनिवर्सिटी तो छुट्टी में आ गई......
बेकार-सा हो गया तो लगता है कि कुछ नया करूँ.
आज 20घंटे सो गए हुए सोचकर यही मन में निकला
ब्लॉग इन हिंदी!!!
फिर भी, सवाल;
-1....क्या क्या बातें तो हो जाएँ?
-2...किस किस के देखना चाहता हूँ?
नहीं नहीं!!!!भूल जा, यह तो बाद में पता चलेगा, जास्ट ट्रइ ऍण्ड ट्रइ!
होने दें बकवास, न तो होगा समय का बरबाद.
सबसे पहले तो अपने बारे में.............
पक्के जापानी के namastehttp://www.blogger.com/profile/11800756932934836171noreply@blogger.com5