प्रतीक जी, यह रिक्शा यहाँ एक संग्रहालय में रखा है, जिससे अफ़सोस की बात है कि यह केवल दर्शाने को है, चलाने को नहीं...जी करता है इसको यहाँ के सड़क पे चलाके दौड़ाऊँ, तो क्या मज़ा होगा भई! तो शेरो-शायरी का रोग फैल जाएगा, वैसे शायद मैं जिसका अध-पीड़ित हो गया भी...
2 टिप्पणियां:
लगता है आप आज-कल हिन्दुस्तान में हैं। ऐसे ऑटो रिक्शा यहाँ बहुतायत में मिलते हैं। या फिर जापान में भी शेरो-शायरी का रोग फैल गया है?
प्रतीक जी,
यह रिक्शा यहाँ एक संग्रहालय में रखा है, जिससे अफ़सोस की बात है कि यह केवल दर्शाने को है, चलाने को नहीं...जी करता है इसको यहाँ के सड़क पे चलाके दौड़ाऊँ, तो क्या मज़ा होगा भई! तो शेरो-शायरी का रोग फैल जाएगा, वैसे शायद मैं जिसका अध-पीड़ित हो गया भी...
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