सितंबर 09, 2005

ऑटरिक्श पे भी शेर...

आजकल खींचा मनपसंद फ़ोटो...




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कैई बह गये बोतल के इस बन्द
पानी में, डूबे जो पैमाने में निकले
ना फिर जिन्दगानी में

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...अरे, क्या हुआ यार?
…इंजिन ख़राब हो गई है?


...चलती रहे तेरी जिंदगी भी...

2 टिप्‍पणियां:

Pratik Pandey ने कहा…

लगता है आप आज-कल हिन्‍दुस्‍तान में हैं। ऐसे ऑटो रिक्‍शा यहाँ बहुतायत में मिलते हैं। या फिर जापान में भी शेरो-शायरी का रोग फैल गया है?

namaste ने कहा…

प्रतीक जी,
यह रिक्शा यहाँ एक संग्रहालय में रखा है, जिससे अफ़सोस की बात है कि यह केवल दर्शाने को है, चलाने को नहीं...जी करता है इसको यहाँ के सड़क पे चलाके दौड़ाऊँ, तो क्या मज़ा होगा भई! तो शेरो-शायरी का रोग फैल जाएगा, वैसे शायद मैं जिसका अध-पीड़ित हो गया भी...