अगस्त 16, 2011

दक्षिण कोरियाई थिएटरों में "3 Idiots"

जब दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल के गिम्पो हवाई अड्डे पर था, उड़ान के वक़्त तक थोड़ा टाइम बिताने को हवाई अड्डे से जुड़े शौपिंग मॉल के अंदर यों ही घूम रहा था, और फिर वहाँ के मल्टीप्लेक्स तक आ पहुँचा, तो अचानक नज़र पड़ी इस विज्ञापन बोर्ड पर.


पता चला है कि 18 अगस्त से दक्षिण कोरिया के सिनेमा घरों में "3 Idiots" रिलीज होने वाली है, जिसका कोरियाई टाइटल "세 얼간이 (से ओल्गानी)" है.



आजकल दक्षिण कोरिया भारत के साथ आर्थिक संबंध बहुत क़रीब और मज़बूत बनाता नज़र आ रहा है, सो कुछ इस तरह मनोरंजन के रूप में भी प्रचार-जुड़ाव होना स्वाभाविक तो होगा ही, मगर क्यों यह फ़िल्म दक्षिण कोरिया में अब थिएटर रिलीज की जा रही है?

लगता है, एक बड़ा वजह यह होगा कि जब भारत और कई भारतीय बहु-प्रवासी देशों में लगभग डेढ़ साल पहले रिलीज हुई तभी बॉक्सऑफिस में रिकॉर्ड-तोड़ ज़बरदस्त कामयाबी मिली (जैसे फ़िल्म के पत्रक पर बड़ी ज़िक्र होती है कि कोरियाई वोन में परिवर्तित 81.1 अरब तक भारत में कमाई हुई).



मगर इसके अलावा, शायद इस लिए भी कि फ़िल्म ने ऐसे मुद्दे उथाए, जैसे एलीट उच्चशिक्षा सिस्टम के बुरे प्रभाव, परिवारों की तरफ़ से छात्राओं पर पड़ने वाले मानसिक दबाव, और शिक्षण को लेकर पूरे समाज पर छाई मनोदशा, आदि. दक्षिण कोरिया के समाज में भी ऐसी मनोदशा बहुत गहेरी होती है कि अपने संतानों के अच्छी नौकरी मिलने के लिए माँ-बाप शिक्षण पर बहुत ज़ोर देते हैं, आर्थिक तथा मानसिक दोनों रूप में. हो सकता है कि फ़िल्म प्रचालक कंपनी का ऐसा इरादा रहा हो कि यह फ़िल्म वहाँ के लोगों को कुछ जागृत करे और दूसरे समाज की तुलना अपने ही समाज की समस्याओं पर ग़ौर करने का मौक़ा बने.

2 टिप्‍पणियां:

Amitraghat ने कहा…

नमस्ते मैं दूसरी बार आपके ब्लॉग पर आ रहा हूँ..अपाकी हिन्दी वाकई बहुत अच्छी है ....और पोस्ट भी ...थ्री ईडियट अच्छी फ़िल्म थी..अच्छी फ़िल्में साँस्कृतिक आदान-प्रादान का ज़रिया बन सकती

namaste ने कहा…

अमित साहब,
दुबारा मेरे ब्लॉग पर तशरीफ़ लाने और टिप्पणी देने के लिए बहुत शुक्रिया.

>अच्छी फ़िल्में साँस्कृतिक आदान-प्रादान का ज़रिया

बिलकुल सही कहा आपने. अब देखते हैं आगे कौनसी भारतीय फ़िल्म जापान के साथ ऐसा ज़रिया बनेगी...